Tuesday, June 22, 2010

मेरी मौत भी गिनना

एक मंत्री जी ने मंच से
अपनी सरकार की,
सौ दिन की उपलब्धियां
यथाशक्ति गिनायीं
तब नीचे  खड़ी जनता ने भी,
अपनी आदत  के अनुसार ही
पुरजोर  तालियाँ बजायीं
मंत्री जी जब थक कर नीचे उतरे
तभी एक बूढी माँ
किसी तरह सभी  का मान मुनौव्वल करती हुयी
मंत्री जी तक पहुंची,
और उनसे कहने लगी उनके भाषण से एकदम हटकर,
वोह बोली साहब..
आटा  इतना महंगा है..
सब्जी इतनी महँगी है,
दाल इतनी महँगी है,
चूल्हा जलाने  के लिए लकड़ी इतनी महँगी है,
पर देखो तो आपके राज में साहब,
जीवन कितना सस्ता है....
और तुम जानते हो साहब,
मैंने अपनी पूरी जिंदगी भर
सस्ती चीजो में ही गुजारा किया है
तो अब तुम ही कहो साहब..
क्या अब मै जीवन त्याग दूँ...?
और हा  साहब
तब तुम अगली  बार 
अपनी उपलब्धियों  में
मेरी मौत भी गिनना...!!





10 comments:

  1. सच में आज जीवन काफी सस्ता हो गया है ,इतनी अच्छी और सच्ची प्रस्तुति के लिए आपको बधाई एवं धन्यवाद .

    महक

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  2. बहुत मार्मिक और सटीक अभिवयक्ति है। समाज और नेताओखी असलीयत। बधाई इस रचना पर्

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  3. मार्मिक अभिव्यक्ति!! बहुत बढ़िया सोनू!!

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  4. सानू सदैव उन्नति करो ।
    मजेदार और हकीकत ।

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  5. bahut badhiya sonu ji
    ek marmik rachna ...........

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  6. आज कल हर वस्तुकी कीमत बढ़ रही है पर मनुष्य की कीमत नगण्य
    होती जा रही है |
    सच्चे भाव लिए रचना |बधाई
    आशा

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  7. बहुत सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ आपने शानदार रचना लिखा है!

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  8. सुन्दर मार्मिक अभिव्यक्ति..

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  9. सटीक व्याख्या - शुभकामनायें
    वंदना शुक्ल

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