Wednesday, August 11, 2010

वो आज फिर से


वो आज फिर से  

पनघट पर उदास बैठी है, 

तेरा इंतज़ार करके,

कि तू आज फिर से नही आया  

खाली किश्तियों ने 

  गवाही दी उसको..!!

9 comments:

  1. गज़ब का भाव संयोजन्……………थोडे शब्दों मे भी भाव प्रगटीकरण्।

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  2. बहुत सुन्दर !
    घुघूती बासूती

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  3. बहुत सुन्दर ...मन के भव से भर गयी कश्ती

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  4. बहुत खूब ..भाव भरी रचना.

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  5. बहुत सुन्दर!

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