Thursday, August 2, 2012

जनलोकपाल बहाना है, टीम अन्ना को संसद जाना है

अनशन पर अनशनकारी साथियों के साथ 






मशाल जुलूस


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पिछले वर्ष जब अन्ना जी अपनी टीम के साथ जनलोकपाल के लिए अनशन पर बैठे तो यहाँ जिला मुख्यालय पर "विधिक सहायता संघ-उ०प्र०" ने भी अन्ना हजारे जी के अनशन ख़त्म होने तक ऐतिहासिक अनशन किया ! अन्ना जी के अनशन संपन्न करने पर सभी खुश थे और सभी की ख़ुशी का कारन अलग अलग हो सकता है परन्तु मेरी ख़ुशी कारन था ये जानना था कि वो युवानी अभी भी बरक़रार है जिसने की भारत की आज़ादी में और फिर लोकनायक जयप्रकाश नारायण जी के आह्वाहन पर देश को बचाने को निकल पड़ी थी और समय समय पर जब जब भी देश को जरुरत पड़ी इसी युवानी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई तथा मक्कार सरकारों कि रातों कि नींदें उड़ाई ! पर उसके बाद जैसे जैसे समय बीतता गया टीम अन्ना के बदले हुए तेवर (असली तेवर) सामने आते गए और मेरा ही नहीं तमाम लोगों का टीम अन्ना से मोहभंग होना शुरू हुआ ! मुझे याद है पिछले वर्ष जब टीम अन्ना देश में तमाम जगह अपनी रैलियां कर रही थी तब लखनऊ में एक पार्टी के नेता जो की व्यक्तिगत अन्ना जी के समर्थक एवं सार्वजानिक (पार्टीलाईन के कारन) विरोधी थे, उनसे बातचीत के दौरान जब उन्होंने टीम अन्ना से छुटकारा पाने का तरीका पूछा तब मैंने अनायास ही कहा था "अगर आपकी पार्टी टीम अन्ना से ये वचन देने को कहे कि टीम अन्ना का कोई भी सदस्य और उनके पारिवारिक सदस्य भविष्य में कभी चुनाव नहीं लड़ेंगे, तो मुझे नहीं लगता की अन्ना को छोड़कर टीम अन्ना का कोई भी व्यक्ति जन्लोकपाल के लिए आन्दोलन करता हुआ मिलेगा !" खैर ये बात आई गयी हुयी और धीरे धीरे मेरी आशंका और भी मजबूत होती गयी कि टीम अन्ना सिर्फ गुमराह कर रही देश की जनता को एवं जनलोकपाल को माध्यम बना रही है अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा को पूर्ण करने के लिए !
फिर भी मै निश्चिन्त हूँ..इसलिए क्यूंकि यह हमारा राष्ट्र जिसकी चेतना में अनादी कल से ये संस्कार है कि यहाँ आप सज्जनता का चोला ओढ़कर राष्ट्र विरोधी मंसूबो का गुप्त अजेंडा लिए कभी भी सफल नहीं हो सकते जबकि खुले रूप से राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में रहकर भले ही 'थोड़े समय के लिए' राष्ट्र की अस्मिता से छेड़छाड़ करने में सफल हो जाये !
वैसे टीम अन्ना ने जनलोकपाल के लिए आन्दोलन उस समय शुरू किया जब बाबा रामदेव पूरे देश में जन्लोकपाल से कहीं अधिक व्यापक मुद्दों के लेकर एवं भ्रष्टाचार के खिलाफ सम्पूर्ण भारत में क्रांति की अलख जगा चुके थे ! तथा कानूनी माध्यम से आदरणीय डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी जी तथा राजनीतिक मंच पर भाजपा कांग्रेस सरकार की नाक में दम किये हुए थे ! ऐसे में कांग्रेस को इन सबसे निपटने हेतु एवं जनता का ध्यान इन मुद्दों से भटकाने के लिए एक अदद सहारे की जरुरत थी जो कि उसे जनलोकपाल के लिए आन्दोलन से मिला या फिर सम्यक जाँच हो तो पता लगे कि ये जनलोकपाल का झुनझुना खुद कांग्रेस ने जनता को टीम अन्ना के माध्यम से थमाया ! ऐसे  में सोचने वाली बात ये भी है कि अगर टीम अन्ना राजनैतिक पार्टी का गठन करती है तो बेशक फायदा सिर्फ और सिर्फ कांग्रेस को ही मजबूती देगा !
आज आदरणीय अन्ना की तुलना महात्मा गाँधी से की जा रही है ..काश अन्ना जी में महात्मा गाँधी कि ही तरह स्वविवेक पर निर्णय ले सकते बजाय टीम अन्ना की राय के आधार पर !