Saturday, September 14, 2019

फ़्रांज काफ़्का की एक कहानी




अपनी मृत्यु से एक साल पहले, फ्रांज काफ्का को एक बहुत ही असामान्य अनुभव हुआ। बर्लिन के स्टेगलिट्ज़ पार्क में टहलते हुए, उन्हें एक लड़की रोती हुई मिली: उसने अपनी गुड़िया खो दी थी।
काफ्का ने उस लड़की से उसकी गुड़िया को खोजने की मदद करने की पेशकश की और अगले दिन उसे उसी जगह मिलने के लिए तैयार किया।
अगले दिन गुड़िया को खोजने में असमर्थ काफ़्का ने स्वयं से एक पत्र लिखा जिसे गुड़िया द्वारा "लिखा" एक पत्र बताया और जब वे उस लड़की से उसी पार्क में फिर से मिले तो उसे उसकी गुड़िया का वही पत्र पढ़कर सुनाया:
- “प्लीज रोओ मत, मैं दुनिया देखने के लिए ट्रिप पर गयी हुयी हूं। मैं आपको अपने कारनामों और अनुभवों के के बारे में लिखती रहूँगी... :तुम्हारी प्यारी गुड़िया"
और इस तरह ऐसे कई पत्रों की शृंखला की शुरुआत हुयी।
दुबारा जब जब काफ़्का और वह लड़की मिले, तो उन्होंने काल्पनिक परंतु रोमांच से भरपूर व सावधानीपूर्वक लिखे गये प्यारी गुड़िया के पत्रों को हर बार पढ़ा। इस तरह लड़की को सुकून मिलता रहा। और फिर एक दिन जब बैठकें समाप्त हो गईं, तो काफ्का ने उस लड़की को एक गुड़िया दी परंतु वह स्पष्ट रूप से मूल गुड़िया से अलग दिखती थी। साथ ही पत्र में लिखा था:
-"मेरी यात्राओं ने
मुझे इस क़दर बदल दिया है ... तुम्हारी ही, प्यारी गुड़िया"
कई साल बाद, अब बड़ी व समझदार हो चुकी उसी लड़की को एक नोट मिला जो उसकी मेज़ के अंदर किसी अनजान दरार में छिप गया था। संक्षेप में, उस नोट में लिखा था:
"आपके द्वारा प्यार की जाने वाली हर चीज के खो जाने की बहुत संभावना है, लेकिन अंत में, प्यार एक अलग तरीके से अलग रूप में वापस अवश्य आयेगा।"
:फ़्रांज काफ्का
अनुवाद: @SaanuShuklaa
चित्र: Marlene López

1 comment:

  1. सानु शुक्ला जी, आप विश्वास नहीं करेंगे. आज संजीवनी बूटी की तरह यह कहानी आपकी बदौलत पढ़ने को मिली. आप नहीं जानते, आपकी एक सामान्य कोशिश किसी के लिए तिनके का सहारा बन सकती है. आज विश्वास फिर दृढ हुआ. शुक्रिया.

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