Wednesday, September 17, 2014

नज़ारे..





कुछ नज़ारे कि जिन्होंने मुझे तराशा है ,
अक्सर मेरी आँखों में बेसाख्ता खनक उठते हैं...
कि जैसे खनकते हों गुल्लक में कुछ कीमती सिक्के..!