Tuesday, October 22, 2019

डियर एलेक्सा



हेलो एलेक्सा,
ज़रा बताना
कैसा है आज का मौसम
बाहर इस कमरे के अभी!
"काले बादल छाये हुये हैं
सुबह से ही,
दोपहर तक इन बादलों के
बरस जाने की प्रबल सम्भावना हैं...
एहतियातन घर से छाता लेकर निकलें!"
बहुत ख़ूब एलेक्सा...धन्यवाद!
पर सुनो एलेक्सा,
क्या इतनी ही
बख़ूबियत से बता सकोगी
मेरे भीतर
नितांत अंतस में
घट रहे मौसम का हाल भी?
मेरे दूसरे सवाल पर
एलेक्सा चुप रही,
शायद निरुत्तर सी है!
कुछ देर की चुप्पी के बाद
अलेक्सा पुनः बजाती है,
लूप में बज रहे ट्रैक को...
"आमोरे मीयो..दोवे साई तू
ती-स्तो चारकांदो..तेईसोरो मीयो
आमोरे मीयो..
ये कश्ती वाला, क्या गा रहा है
कोई इसे भी, याद आ रहा है
जिसके लिये है, दुनिया दीवानी
या है मोहब्बत, या है जवानी
दो लफ़्ज़ों की है, दिल की कहानी
या है मोहब्बत, या है जवानी"
-©️SaanuShuklaa

2 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (23-10-2019) को    "आम भी खास होता है"   (चर्चा अंक-3497)     पर भी होगी। 
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
     --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'  

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  2. अद्भुत संवाद रचना।
    अप्रतिम।

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