तू पागल है उसे ऐसा मै हर बार कहता हूँ
मगर फिर भी न जाने क्यूँ मुझी से प्यार करता है
मुझे देखे इसी हसरत से छत पे रोज आता है
वहां आकर न जाने क्यूँ वो नजरें भी चुराता है
वो ज़माने याद है मुझको वो नखरे याद आते है
वो दुपट्टे से तेरा चेहरा छिपाना और हंस देना
तेरा गिरना फिसलकर और मुझको हाथ दे देना
बिना बोले तेरा आँखों से अपनी बात कह देना
वो बारिश का महीना और किश्ती वो कागज की
तेरा उसके लिए लड़ना और घर पे आके कह देना
वो ज़माने याद है मुझको वो नखरे याद आते है
तू पागल है उसे ऐसा मै हर बार कहता हूँ
मगर फिर भी न जाने क्यूँ मुझी से प्यार करता है...!!
मगर फिर भी न जाने क्यूँ मुझी से प्यार करता है
मुझे देखे इसी हसरत से छत पे रोज आता है
वहां आकर न जाने क्यूँ वो नजरें भी चुराता है
वो ज़माने याद है मुझको वो नखरे याद आते है
वो दुपट्टे से तेरा चेहरा छिपाना और हंस देना
तेरा गिरना फिसलकर और मुझको हाथ दे देना
बिना बोले तेरा आँखों से अपनी बात कह देना
वो बारिश का महीना और किश्ती वो कागज की
तेरा उसके लिए लड़ना और घर पे आके कह देना
वो ज़माने याद है मुझको वो नखरे याद आते है
तू पागल है उसे ऐसा मै हर बार कहता हूँ
मगर फिर भी न जाने क्यूँ मुझी से प्यार करता है...!!
खूबसूरत भाव है।
ReplyDeletebahut achha likha hain sanu ji.
ReplyDeleteaksar aisa hota hai , jo sabse priy hota hai ussi se adhikaarvash hum jhagda bhi khoob karte hain.
uttama cintana ke liye badhai
ReplyDeleteuttama cintan ke liye badhai
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