Thursday, July 8, 2010

कुछ हाइकु कवितायेँ भाग-२

(१)- दरीचे खुले
          हवा के साथ आयी
      तेरी खुशुबू |

 

(२)- कह भी तो दो
           कहना है जो,वर्ना
      रोना है क्या?
 
(३)- उडी चिड़िया
         पंखों को फैलाकर
       दाना लेकर |
 

(४)- उसने कहा
           हम साथ चलेंगे
     बन के साया |
 

(५)- पत्थर आया
           टूटा आइना जैसे
      मेरा विश्वाश |

5 comments:

  1. वाह गज़ब के हाइकू हैं.

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  2. Beautiful thoughts .....expressed beautifully !

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  3. मारिया जी,विवेक जैन जी,बैचेन आत्मा ब्लाग वले भाईसाहब,शिखा जी,दिव्या जी, आप सभी की बहुमूल्य टिप्पणियों के लिये हम आप के अभारी है...!!

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आपके आशीर्वचन हमारे लिए... विश्वाश मानिए हमे बहुत ताक़त मिलती आपकी टिप्पणियो से...!!