राष्ट्र सर्वोपरि- तेरा वैभव अमर रहे माँ....हम दिन चार रहें ना रहें...!!
कुछ कंचे आज भी मेरी, मेज पे रक्खे है.. सिर्फ इसी इंतजार में !
कि जो बच्चा कैद है सीने में, कभी तो.. बाहर निकले.!
दुनिया भर की माथापच्ची में बच्चा होने का ख्याल आ ही जाता है ...बचपन में लौटना यानी बेफिक्री ...बहुत सुन्दर
dhanywad Kavita ji...:-)
कंचे देख कर ललचा रहा है बच्चा ,उसे मुक्त करें तब तो ...!
han ji jarur...abhar .:-)
आपके आशीर्वचन हमारे लिए... विश्वाश मानिए हमे बहुत ताक़त मिलती आपकी टिप्पणियो से...!!
दुनिया भर की माथापच्ची में बच्चा होने का ख्याल आ ही जाता है ...बचपन में लौटना यानी बेफिक्री ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
dhanywad Kavita ji...:-)
Deleteकंचे देख कर ललचा रहा है बच्चा ,उसे मुक्त करें तब तो ...!
ReplyDeletehan ji jarur...abhar .:-)
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