तुम्हारा
बोलना कुछ भी
एक बहती हुयी नदी के सदृश है!
और तुम्हारा मौन
अथाह जल रश्मियों से निमग्न
ख़ुद में अकूत सम्पदाएँ समेटे
दूर दूर तक फैला हुआ एक समुद्र!
पर ध्यान रहे
तुम्हारी तलाश में हो जब कोई समुद्र
मत डूब जाना
किसी नदी की उथली गहराईयों में!
- Adv Sanu Shukla
बोलना कुछ भी
एक बहती हुयी नदी के सदृश है!
और तुम्हारा मौन
अथाह जल रश्मियों से निमग्न
ख़ुद में अकूत सम्पदाएँ समेटे
दूर दूर तक फैला हुआ एक समुद्र!
पर ध्यान रहे
तुम्हारी तलाश में हो जब कोई समुद्र
मत डूब जाना
किसी नदी की उथली गहराईयों में!
- Adv Sanu Shukla
बहुत खूब
ReplyDeleteshukriya
Deleteबहुत ही सुन्दर सृजन आदरणीय
ReplyDeleteसादर
बहुत बहुत आभार मैम
Deleteबहुत बहुत आभार सर
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