Wednesday, September 17, 2014

नज़ारे..





कुछ नज़ारे कि जिन्होंने मुझे तराशा है ,
अक्सर मेरी आँखों में बेसाख्ता खनक उठते हैं...
कि जैसे खनकते हों गुल्लक में कुछ कीमती सिक्के..! 

3 comments:

  1. बहुत सुंदर पंक्तियाँ ..हैरान हूँ इतने समय से आपसे fb पर परिचित हूँ पर आपके ब्लॉग तक क्यूँ नहीं पहुंची । अपने लेखन को पढ़वाने का शुक्रिया ।

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  2. shandar prayash

    sudhirsinghmgwa@gmail.com

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