एक मंत्री जी ने मंच से
अपनी सरकार की,
सौ दिन की उपलब्धियां
यथाशक्ति गिनायीं
तब नीचे खड़ी जनता ने भी,
अपनी आदत के अनुसार ही
पुरजोर तालियाँ बजायीं
मंत्री जी जब थक कर नीचे उतरे
तभी एक बूढी माँ
किसी तरह सभी का मान मुनौव्वल करती हुयी
मंत्री जी तक पहुंची,
और उनसे कहने लगी उनके भाषण से एकदम हटकर,
वोह बोली साहब..
आटा इतना महंगा है..
सब्जी इतनी महँगी है,
दाल इतनी महँगी है,
चूल्हा जलाने के लिए लकड़ी इतनी महँगी है,
पर देखो तो आपके राज में साहब,
जीवन कितना सस्ता है....
और तुम जानते हो साहब,
मैंने अपनी पूरी जिंदगी भर
सस्ती चीजो में ही गुजारा किया है
तो अब तुम ही कहो साहब..
क्या अब मै जीवन त्याग दूँ...?
और हा साहब
तब तुम अगली बार
अपनी उपलब्धियों में
मेरी मौत भी गिनना...!!
अपनी सरकार की,
सौ दिन की उपलब्धियां
यथाशक्ति गिनायीं
तब नीचे खड़ी जनता ने भी,
अपनी आदत के अनुसार ही
पुरजोर तालियाँ बजायीं
मंत्री जी जब थक कर नीचे उतरे
तभी एक बूढी माँ
किसी तरह सभी का मान मुनौव्वल करती हुयी
मंत्री जी तक पहुंची,
और उनसे कहने लगी उनके भाषण से एकदम हटकर,
वोह बोली साहब..
आटा इतना महंगा है..
सब्जी इतनी महँगी है,
दाल इतनी महँगी है,
चूल्हा जलाने के लिए लकड़ी इतनी महँगी है,
पर देखो तो आपके राज में साहब,
जीवन कितना सस्ता है....
और तुम जानते हो साहब,
मैंने अपनी पूरी जिंदगी भर
सस्ती चीजो में ही गुजारा किया है
तो अब तुम ही कहो साहब..
क्या अब मै जीवन त्याग दूँ...?
और हा साहब
तब तुम अगली बार
अपनी उपलब्धियों में
मेरी मौत भी गिनना...!!
सच में आज जीवन काफी सस्ता हो गया है ,इतनी अच्छी और सच्ची प्रस्तुति के लिए आपको बधाई एवं धन्यवाद .
ReplyDeleteमहक
बहुत मार्मिक और सटीक अभिवयक्ति है। समाज और नेताओखी असलीयत। बधाई इस रचना पर्
ReplyDeleteमार्मिक अभिव्यक्ति!! बहुत बढ़िया सोनू!!
ReplyDeleteसानू सदैव उन्नति करो ।
ReplyDeleteमजेदार और हकीकत ।
bahut badhiya sonu ji
ReplyDeleteek marmik rachna ...........
marmik rchana
ReplyDeleteआज कल हर वस्तुकी कीमत बढ़ रही है पर मनुष्य की कीमत नगण्य
ReplyDeleteहोती जा रही है |
सच्चे भाव लिए रचना |बधाई
आशा
बहुत सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ आपने शानदार रचना लिखा है!
ReplyDeleteसुन्दर मार्मिक अभिव्यक्ति..
ReplyDeleteसटीक व्याख्या - शुभकामनायें
ReplyDeleteवंदना शुक्ल