वैसे तो गाँधी जी ने अपनी जिंदगानी में कई सिद्धांत दिए है पर उनका एक ऐसा सिद्धांत जिस पर आज तक देश विदेश में कई जगह उसका उपयोग कई लोंगो ने विभिन्न विभिन्न रूप में किया है...और वो सिद्धांत है गाँधी जी का तीन बंदरों का सिद्धांत.हम सभी इस सिद्धांत को बचपन से पढ़ते आये है,
खासकर मुझे इस सिद्धांत के इन तीन बंदरों ने काफी बहलाया है बचपन में.....जब मै कुछ समझ नहीं पlता था बस इन्ही तीन बंदरो की उल जुलूल हरकतों को किताब में देखा करता था..
हा तो मै सिर्फ ये कहना चाहता हूँ की गाँधी जी का ये सिद्धांत सिर्फ और सिर्फ नकारात्मकता पर आधारित है...कैसे है ये तो मै बताऊंगा पर इससे पहले आइये एक बार फिर हम इस सिद्धांत को ताज़ा कर ले....
गाँधी जी का तीन बन्दर सिद्धांत--
गाँधी जी के अनुसार तीन बन्दर है....अपनी सहजता के लिए हम उनका नामकरण कर रहे है.|मान लिया ये तीन बन्दर है जिनका नाम है रामू ,श्यामू,और कालू |
तो गाँधी जी के अनुसार पहला बन्दर जिसे कि हमने रामू कहा है, उसने अपने हाथ अपने कानों पे रखे है और वो ये सन्देश दे रहा है की बुरा मत सुनो |
दूसरा बन्दर यानी कि श्यामू है जिसने अपनी आँखों पर हाथ रखे है और वो ये सन्देश दे रहा है की बुरा मत देखो |
तीसरा बन्दर जो कि कालू है और उसने अपने मुंह पर हाथ रखे है और वो सन्देश दे रहा है कि बुरा मत बोलो |
ये तो हुआ तीन बन्दर का सिद्धांत गाँधी जी के अनुसार |
पर मेरे हिसाब से ये सिद्धांत एकदम नकारात्मक है.....और ऐसा कहकर मै गाँधी जी पर कोई आक्षेप भी नहीं करना चाहता हूँ | बेशक वो एक महँ व्यक्ति थे|
अब सवाल ये है की अगर ये सिद्धांत नकारामक है तो फिर सकारात्मक सिद्धात क्या हो सकता था...?
तो मेरे अनुसार इसी बात को सकारात्मक तरीके से इस प्रकार कहा जा सकता था क़ि गाँधी जी केवल एक बन्दर ही बैठाल देते और जिसके हाथ सामने अपनी मेज पर रखे होते.......और गाँधी जी उस बन्दर से ये सन्देश देते क़ि अच्छा सुनो, अच्छा देखो, और अच्छा बोलो..|
दूसरी बात जो मुझे गाँधी जी के इस सिद्धांत में सही नहीं लगी वो ये क़ि ...
खासकर मुझे इस सिद्धांत के इन तीन बंदरों ने काफी बहलाया है बचपन में.....जब मै कुछ समझ नहीं पlता था बस इन्ही तीन बंदरो की उल जुलूल हरकतों को किताब में देखा करता था..
हा तो मै सिर्फ ये कहना चाहता हूँ की गाँधी जी का ये सिद्धांत सिर्फ और सिर्फ नकारात्मकता पर आधारित है...कैसे है ये तो मै बताऊंगा पर इससे पहले आइये एक बार फिर हम इस सिद्धांत को ताज़ा कर ले....
गाँधी जी का तीन बन्दर सिद्धांत--
गाँधी जी के अनुसार तीन बन्दर है....अपनी सहजता के लिए हम उनका नामकरण कर रहे है.|मान लिया ये तीन बन्दर है जिनका नाम है रामू ,श्यामू,और कालू |
तो गाँधी जी के अनुसार पहला बन्दर जिसे कि हमने रामू कहा है, उसने अपने हाथ अपने कानों पे रखे है और वो ये सन्देश दे रहा है की बुरा मत सुनो |
दूसरा बन्दर यानी कि श्यामू है जिसने अपनी आँखों पर हाथ रखे है और वो ये सन्देश दे रहा है की बुरा मत देखो |
तीसरा बन्दर जो कि कालू है और उसने अपने मुंह पर हाथ रखे है और वो सन्देश दे रहा है कि बुरा मत बोलो |
ये तो हुआ तीन बन्दर का सिद्धांत गाँधी जी के अनुसार |
पर मेरे हिसाब से ये सिद्धांत एकदम नकारात्मक है.....और ऐसा कहकर मै गाँधी जी पर कोई आक्षेप भी नहीं करना चाहता हूँ | बेशक वो एक महँ व्यक्ति थे|
अब सवाल ये है की अगर ये सिद्धांत नकारामक है तो फिर सकारात्मक सिद्धात क्या हो सकता था...?
तो मेरे अनुसार इसी बात को सकारात्मक तरीके से इस प्रकार कहा जा सकता था क़ि गाँधी जी केवल एक बन्दर ही बैठाल देते और जिसके हाथ सामने अपनी मेज पर रखे होते.......और गाँधी जी उस बन्दर से ये सन्देश देते क़ि अच्छा सुनो, अच्छा देखो, और अच्छा बोलो..|
दूसरी बात जो मुझे गाँधी जी के इस सिद्धांत में सही नहीं लगी वो ये क़ि ...
१- क़ि यदि वो बन्दर जिसे हमने रामू कहा है और जिसने अपने हाथ अपने कानो पे रखे है और गाँधी जी के अनुसार वो बुरा नहीं सुने........तो भईया इस बात की क्या गारंटी है क़ि वो बन्दर बुरा नहीं देखेगा और बुरा नहीं बोलेगा..?
२- दूसरा जो बन्दर है जिसे क़ि हमने श्यामू कहा है और जिसने अपने हाथ अपनी आँखों पे रखे है औए गाँधी जी के अनुसार वो बुरा नहीं देखे....तो भईया इस बात की क्या गारंटी है क़ि वो बन्दर बुरा नहीं सुनेगा और बुरा नहीं बोलेगा..?
३- तीसरा जो बन्दर है जिसे क़ि हमने कालू कहा है और जिसने अपने हाथ अपने मुंह पर रखे हुए है और गाँधी जी के अनुसार वो बुरा नहीं बोले ...तो भईया इस बात की क्या गारंटी है क़ि वो बन्दर बुरा नहीं सुनेगा और बुरा नहीं देखेगा...?
२- दूसरा जो बन्दर है जिसे क़ि हमने श्यामू कहा है और जिसने अपने हाथ अपनी आँखों पे रखे है औए गाँधी जी के अनुसार वो बुरा नहीं देखे....तो भईया इस बात की क्या गारंटी है क़ि वो बन्दर बुरा नहीं सुनेगा और बुरा नहीं बोलेगा..?
३- तीसरा जो बन्दर है जिसे क़ि हमने कालू कहा है और जिसने अपने हाथ अपने मुंह पर रखे हुए है और गाँधी जी के अनुसार वो बुरा नहीं बोले ...तो भईया इस बात की क्या गारंटी है क़ि वो बन्दर बुरा नहीं सुनेगा और बुरा नहीं देखेगा...?
bilkul sahi baat kahi aapne
ReplyDeletehttp://sanjaykuamr.blogspot.com/
badhiya vivechna sirji...
ReplyDeleteबहुत बढ़िया बिश्लेषण..... और बुरा ही क्यों अच्छा भी तो नहीं सुन पायेगा.. :):)
ReplyDeleteगाँधी जी का मात्र एक यही सिद्धांत ही तो है जिस पर हमारे गांधीवादी नेता अमल कर रहे हैं।
ReplyDeleteदेश में जितना भी बुरा हो रहा है उसे मत देखो अर्थात -आँखें मूँद लो !
कितना ही अन्याय हो रहा हो ,कितनी ही लूट मची हो -कुछ मत बोलो !
लोग अन्याय के खिलाफ कितना ही चिल्लाएं ,फरयाद करें -कुछ मत सुनो !
बढिया विश्लेषण !!
ReplyDeleteअच्छा हुआ उस समय तुम नहीं थे सोनू वरना यही सब सुलझा रहे होते गाँधी जी...और अंग्रेज मजे से राज करते. :)
ReplyDeleteमजाक कर रहा हूँ-बुरा मत मानना...न ही गाँधी जी मना किया है कि बुरा मत पढ़ो. :)
सन्नू भईया ! ये बहुते बढ़िया है कि तुम वहाँ पर नहीं थे वरना गांधी जी........!!!!
ReplyDeleteबोलो जय श्री राम.
हा हा हा
एक प्रश्न मन में उठा है कि गांधी जी के तो तीन बन्दर थे आपने चिम्पैंजी क्यों बिठा रखे हैं ??????
kaash tab gandhiji ko apke jyisa adviser mila hota...........
ReplyDeleteअब राजीव जी का सवाल भी वाजिव है .....!!
ReplyDelete@ राजीव जी और हरकीरत जी.... ...अरे हम बहुत प्रयास किए की हम उन गाँधी जी के तीनो बन्दरो को यहा पर उपस्थित कर सके...और हम इसके लिए उन तीनो महनुभवो के पास गये भी थे और जब उनसे इस हेतु अनुरोध किया तो वे तीनो एक स्वर मे बोले.."अमा जाओ यार अपना काम करो..गाँधी जी एक सिद्धांत हम पर क्या दे दिया...जिसे देखिए चला आता है अपने अपने सिद्धांतो को हमी पर आज़माने....|"अपना सा मुँह लटकाए लौट ही रहा था कि तब तक रास्ते मे ये तीनो महनुभव जो उपर चित्र मे प्रदर्शित है उन्हे अपने इस कार्य के लिए मॅनाने लगा..ये भी नही माने .....पर जब हमने इन्हे भरोसा दिलाया की भैया हम किंग-कॉंग के लिए नये चेहरो की तलाश कर रहे है ..तब जाकर इन्होने इस उमीद पर की शायद इन्हे भी किंग-कॉंग की अगली कड़ी मे मौका मिल जाए ...तो एक फोटो खींचने की अनुमति दी...
ReplyDeleteमजेदार प्रस्तुति..वैसे मैं ऊपर लिखी
ReplyDeleteज्यादातर टिप्पणियों से सहमत हूँ ।
लेखन के लिये जो सबजेक्ट आपने
सोचा । मजेदार लगा । हल्का फ़ुल्का
लगा । धन्यवाद ।
satguru-satykikhoj.blogspot.com
आपने बिल्कुल सही फ़रमाया है! मैं आपकी बातों से पूरी तरह सहमत हूँ! उम्दा प्रस्तुती!
ReplyDeleteसंजय जी,दिलीप भाई जी,संगीता जी,एल.आर.गाँधी जी,समीर जी भाईसाहब. रश्मि प्रभा जी,राजीव जी,सुमन जी,हरकीरत हीर जी,राजीव कुलश्रेष्ठ जी,बबली जी आप सभी शुभचिंतको का हृदय की गहराई से खूब खूब आभार...
ReplyDeletehaa sir main aapse sehmat hoon........
ReplyDeleteispar kehna chahoonga ki agar koi ek vyakti gandhiji k is sidhant ko apne mein lekar chale toh na toh woh burayik khilaaf kuch kahega,kyunki kehne ke liye kuch sunna zaroori hai,naa sun paya tab bhi kuch karne ke liye dekhna bhi zaroori hai,aur kuch dekhega nahi toh kuch karega kaise????................
sabhi aise hi ankh.muh aur kaam bandh karke baithenge toh ho gaya desh kaa bhala..........agr humare desh ki police is sidhant ko apnaa le toh hum madad ke liye guhaar bhi ni laga sakte.......
भ्रष्टाचार के तीन हथियार धर्म, कानून, समाज | हम आधुनिकीकरण में भूल गए या गुमराह हो रहे हैं ? जब तक हम धर्म को विज्ञान से ,कानून को पारदर्शिता के साथ सरलीकरण से ,समाज को संवेदनशीलता से नहीं जोड़ेंगे तब तक यह प्रतीक गांधी के तीन बन्दर भारतीय मानसिकता का प्रतीक बन कर चिढाता रहेगा मनुष्यता को | जब हम धर्म, कानून, समाज को संवेदनशीलता प्रदान करेंगे तब हमें कोई भी प्रतीक की जरुरत नहीं रहेगी | तब हम स्वतन्त्र नागरीक होंगे | सोचे ,समझे, गुने, बदले आधुनिक बनें |
ReplyDeleteधन्यबाद -