Sunday, June 27, 2010

ऐ मेरे क्रोध

ऐ मेरे क्रोध
तुम कब आये
और आकर  चले भी गए
पर छोड़ गए पीछे निशान
अपने आने के,

पर अरे भले आदमी
कम से कम एक पाती ही भेज देते
अरे छोडो ये आधुनिक जमाना है
कम से कम एक एस.एम्. एस. ही कर देते
जिससे  अपने आने की  खबर  देते
ताकि मै हो जाता सचेत
तुम्हारे आने से पहले ही
तुम्हारी आव-भगत करने को
और शायद तब बच जाता
ये नुकसान होने से
जो हुआ है मुझे
तुम्हारे बिना बताये आने से,,,!!

10 comments:

  1. भाई सोनू जी क्रोध के साथ यही तो दिक्‍कत है कि वह भला आदमी नहीं है। हां यह अलग बात है कि भले आदमियों को भी क्रोध आता है, पर वह उनके वश में रहता है। तो क्रोध को दोष मत द‍ीजिए वह तो है ही बुरा आदमी। अपने बारे में सोचिए। शुभकामनाएं।

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  2. क्रोध की फितरत है कि बिना बताये आ कर नुक्सान कर देता है....अच्छी अभिव्यक्ति

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  3. मंगलवार 06 जुलाई को आपकी रचना ... चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर ली गयी है आभार

    http://charchamanch.blogspot.com/

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  4. बहुत सुंदर। क्रोध न्योता दे जाता, उसे हावी होने नही देते और अच्छे से आव भगत करते। अच्छे भाव हैं यदि ऐसा हो तो वाकई भर जायें मन के गहरे से गहरे घाव हैं।

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  5. इस विलक्षण सोच भरी रचना के लिए बधाई स्वीकार करें...
    नीरज

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  6. क्या बात कही है।

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  7. पसंद करने के लिए आप सभी का आभार..!!

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