Sunday, June 20, 2010

द्वादश ज्योतिर्लिंग


1-सोमनाथ

* इसा पूर्व ६४९- भव्य मंदिर था| समुद्री डाकुओं द्वारा सोमनाथ मंदिर लूटा गया|
* इसवी ४०६-सोमनाथ अस्तित्व में(प्रादुर्भाव)
* सन ४८७-शैव भक्त पल्लवी द्वारा पुनर्निर्माण (राजा भोजराज परमार)
* सन १०२५- महमूद गजनवी द्वारा आक्रमण |
* सन ११६९- राजा कुमार पल द्वारा पुनर्निर्माण कराया गया |
* सन १२९७- अलाउद्दीन खिलजीद्वारा आक्रमण|
* सन १३९०- मुजफ्फर शाह प्रथम द्वारा आक्रमण |
* सन १४९०- मोहम्मद बेगडा द्वारा आक्रमण |
* सन १५३०- मुजफ्फर शाह द्वितीय द्वारा आक्रमण |
* सन १७०१- औरंगजेब द्वारा आक्रमण |
* सन १७८३- महारानी अहिल्याबाई द्वारा मंदिर बनबाया गया |
* ११ मई सन १९५१-सरदार बल्लभभाई पटेल क़ि अगुआई में डॉ राजेंद्र प्रसाद द्वारा प्राण प्रतिष्ठा |
* इब्त अशीर ने रख रखाव एवं पूजन अर्चन के बारे में लिखा है क़ि दास हजार गाँव क़ि जागीर मंदिर के लिए निर्धारित है |मूर्ति के जलाभिषेक के लिए गंगा जल आता है|एक हजार पुजारी पूजा करते है|मुख्या मंदिर छप्पन जडित खम्भों पर आधारित है|


२-मल्लिकार्जुन

* शैल पर्वत पर स्थित |
* पारवती-मल्लिका शिव-अर्जुन |
* श्री शैल पर्वत कर्नूल जिला, आंध्र प्रदेश|
* लगभग दो हजार वर्षपुराना|
* भगवन शंकर ने अपने रुष्ट पुत्र कार्तिकेय को मानाने के किये शिव-शक्ति के रूप में यहाँ पधारे|
* यहाँ पारवती को माधवी या भ्रमराम्बा के नाम से पुकारा जाता है|


३- महाकालेश्वर

* क्षिप्रा नदी पर श्थित|
* कनक,श्रुंग,कुम्भ स्थली,कुमुद्वती आदि नामो से जाना जाता है|
* आचार्य श्रेष्ठ संदीपनी का आश्रम|
* भगवन शंकर के द्वारा त्रिपुरासुर का वध |
* कुम्भ स्थल प्रति बारहवें वर्ष |
* मौर्यकाल में उज्जेयनी मालवा प्रदेश की राजधानी |
* सम्राट अशोक के पुत्र महेंद्र व् पुत्री संघमित्रा का प्रवज्य धारण |
* भर्तहरी,विक्रमादित्य ,भोज ने वैभव बढाया |
* कालिदास वररुचि,भारवि,आदि कवियों-लेखको एवं वराहमिहिर का कार्यक्षेत्र |


४-ओंकारेश्वर

* ओंकारेश्वर पर्वत पर,नर्मदा नदी का तट |
* मान्धाता द्वीप या शिवपुरी कहा जाता है|
* ओंकारेश्वर एवं अमरेश्वर या ममलेश्वर के रूप में जाना जाता है |
* विन्ध्याचल पर्वत ने भगवन ओंकारेश्वर की अर्चना की |
* शिव-विग्रह के पास में ही पारवती की और मंदिर के परकोटे में पञ्चमुखी गणेश स्थित |


५-केदारनाथ

* सत्य युग में उपमन्यु ने यहाँ भगवन शिव की आराधना की|
* द्वापर में पांडवो ने यहाँ तपस्या की|
* नर-नारायण ने शिव की आराधना की|
* अर्जुन ने दिव्यश्त्रों की प्राप्ति के लिए तपस्या की|
* समुद्र तट से ६९४० मी० की ऊँचाई पर स्थित |
* मन्दाकिनी केदारनाथ से चलकर रुद्रप्रयाग में अलकनंदा मिलती है |अंत में भागीरथी में मिलकर पतित पावनी गंगा बन जाती है|
* गौरी कुन्ड में माँ पारवती ने स्नान किया |


६-भीमाशंकर

* गोहाटी ब्रम्हपुर पर्वत पर स्थित |
* मूलनिवास सह्याद्री है|भीमा नदी का तट|
* डाकिनी शिखर भी कहते है|
* नाना फडनवीस बनवाया नया मंदिर |
* पुराना नाम डाकिनी था


७- विश्वनाथ

* काशी में गंगा नदी पर स्थित है |
* शक्ति पीठ ,ज्योतिर्लिंग तथा सप्तपुरियों में से एक |
*वरुना नदी एवं असी नदी के मध्य स्थित इस कारन वाराणसी नाम pada
* बौद्ध तीर्थ सारनाथ पास में स्थित है |
* शैव ,शाक्त , वैष्णव ,बौद्ध ,जैन पंथों के उपासकों का काशी में संगम|
* सातवें तथा तेइसवें तीर्थंकरों का यहाँ प्रादुर्भाव हुआ |
* आदि शंकराचार्य ने अपनी धार्मिक दिग्विजय यात्रा प्रारंभ क़ि |
* कबीर ,रामानंद ,तुलसीदास सद्रश ने कर्न्भूमि बनाया |
* तीन विश्वविद्यालय तथा कई संस्कृत अध्ययन केंद्र |
* मणि कर्णिका घाट ,दशाश्वमेघ घाट,केदार घाट,हनुमान घाट एवं हरिश्चंद्र घाट प्रमुख है |
* भारत क़ि सांस्कृतिक राजधानी |
* औरंगजेब ने शिव के मंदिर ध्वस्त कराये |भाग्नाव्शेशो पर मस्जिद बनवाई|


८-त्रयम्बकेश्वर

* ब्रम्ह्गिरी पहुँचने के लिए ७०० सीढ़ियों क़ि यात्रा तय करनी पड़ती है |
* ब्रम्हागिरी पर्वत एवं गोदावरी,गौतमी तट पर स्थित|
* सिद्ध ऋषि गौतम क़ि तपस्थली |
* मुख्या मंदिर में तीन विग्रह ब्रम्हा,विष्णु,महेश |
* मुख्या मंदिर के दूसरी ओर राम-लक्षमण कुन्ड स्थित है |
* कुम्भ स्नान के समय सभी तीर्थ गोदावरी तट पर आकार विराजमान हो जाते है |


९- वैद्यनाथ

* वैद्यनाथं चिता भूमौ परल्यम वैद्यनाथं च के अनुसार जसीडीह देवधर स्थान पर स्थापित|
* त्रेतायुग में रावन द्वारा तपस्या |
* शिवकुंड नमक सरोवर |
* कार्तिक माघ और फाल्गुन क़ि पूर्णिमा व चतुर्दशी को मेला लगता है |
* पूर्व रियासत हैदराबाद के गाँव परली के शिवमंदिर को इस ज्योतिर्लिंग का स्थान होने का श्रेय प्राप्त है|
* परली स्थित ज्योतिर्लिंग परभानी के पास एक पर्वत शिखर पर बने मंदिर पर विराजमान है |


१०-नागेश्वर

* द्वारिका के पास दारुक नमक वन के पास|
* आस-पास वेणी नाग ,धौले,कालिया जैसे नागों के स्थल |
* इस ज्योतिर्लिंग क़ि स्थापना एक शिवभक्त सुप्रिया व्यापारी से सम्बंधित है |
* शिवपुराण के अनुसार द्वारिका के पास स्थित नागेश्वर क़ि ज्योतिर्लिंग के रूप में पुष्टि दृढ होती है |


११- रामेश्वरम

* भगवन श्रीराम द्वारा स्थापित|इसी नाते रामेश्वरम नाम पड़ा |
* चारो धमो में से एक धाम |
* लक्षमनेश्वर शिव मंदिर,पंचमुखी हनुमान,श्री राम जानकी मंदिर |
* रामेश्वर के परकोटों में २२ पवित्र कूप है |
* लंका पर चढ़ाई से पूर्व भगवन श्री राम ने यहाँ पर शिव पूजन कर आशीर्वाद प्राप्त किया |
* पवन पुत्र हनुमान जी के द्वारा कैलाश से लाया गया शिवलिंग भी पास में ही स्थापित है |
* अश्वत्थामा द्रौपदी पुत्रों क़ि हत्या का प्रायश्चित करने यहाँ आया था |
* रावन के वध के बाद भगवन श्री राम द्वारा ब्रम्ह हत्या के प्रायश्चित का स्थान |
* महाशिवरात्रि,वैशाख पूर्णिमा,ज्येष्ठ पूर्णिमा,अष्टमी,नवरात्र ,रामनवमी,वर्ष प्रतिपदा तथा विजयदशमी आदि पर्वों पर विशेष पूजा |


१२-घुमेश्वर

* घ्रीश्नेश्वर नाम से भी जाना जाता है |
* बेसल गाँव में दौलताबाद,एलोरा गुफा के डेढ़ किलोमीटर पर स्थित |
* महारानी लक्ष्मीबाई ने अतिसुन्दर मंदिर बनबाया |
* मंदिर के पास शिवालय नामक पवित्र सरोवर स्थित |
* पास में ही शहस्रलिंग,पातालेश्वर ,व सुरेश्वर के मंदिर स्थित है |
* घुमेश्वर क़ि कथा घुश्मा और सुद्रेहा पर आधारित है |
                 (घुमेश्वर महिमा )
  " ईद्रषम चैव लिंगम च द्रष्टव पाये: प्रमुच्यते|
      सुखं संवर्ध्ते पुंसां शुक्ला पक्षे यथा शशि ||"

6 comments:

  1. बहुत सुन्दर जानकारी. एक शंका है. ईसापूर्व मंदिरों के प्रमाण नहीं हैं.

    ReplyDelete
  2. बहुत ही उत्तम जानकारी दे दी आपने, कहाँ से खंगाला ये सब ?

    ReplyDelete
  3. सनातन धर्मका उपकार ।

    ReplyDelete
  4. सनातन धर्मका उपकार ।

    ReplyDelete
  5. क्या आप बता सकते हैं िक घुश्मेश्वर जाने के िलए झाँसी से ट्रेन द्वारा कैसे और कहाँ जाना होगा ?

    ReplyDelete

आपके आशीर्वचन हमारे लिए... विश्वाश मानिए हमे बहुत ताक़त मिलती आपकी टिप्पणियो से...!!